झूठ फैलाने की पुरानी आदत: UN में कश्मीर मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान को लगाई फटकार!
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दा उठाने पर आड़े हाथों लिया, इसे "भ्रम फैलाने का प्रयास" करार दिया। भारतीय प्रतिनिधि परवथानेनी हरीश ने अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं की दुर्दशा पर चिंता जताई और भारत की शांति निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रस्तुत किया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक महत्वपूर्ण बहस के दौरान भारत ने पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दा उठाने पर जमकर फटकार लगाई। भारत ने इसे "जानबूझकर उकसाने का प्रयास" और "भ्रम फैलाने की आजमाई हुई रणनीति" करार दिया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, परवथानेनी हरीश, ने कहा कि यह UNSC की वार्षिक बहस में पाकिस्तान का राजनीतिक प्रचार करने का अनुचित प्रयास है। उन्होंने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं की "दुर्दशा" पर भी टिप्पणी की। हरीश ने बताया कि पाकिस्तान में हिन्दू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं का स्थिति बेहद चिंताजनक है।
हरीश ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान में हर साल करीब 1,000 महिलाओं का अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और विवाह होता है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर पाकिस्तान को सीधे शब्दों में नसीहत दी।
इसके साथ ही, भारत ने इस महत्वपूर्ण बहस को आयोजित करने के लिए स्विट्जरलैंड को धन्यवाद दिया और महिलाओं की शांति निर्माण में भूमिका पर जोर दिया। UNSC के प्रस्ताव 1325 की 25वीं वर्षगांठ पर, हरीश ने भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि शांति सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं की बराबरी, उनकी सुरक्षा और निर्णय-निर्माण में भागीदारी जरूरी है।
हरीश ने भारतीय महिला शांति सैनिकों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने 2007 में लाइबेरिया में पहली महिला पुलिस इकाई की तैनाती का जिक्र किया और बताया कि भारत ने अपने शांति-निर्माण दलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है। वर्तमान में 100 से अधिक भारतीय महिला शांति सैनिक दुनियाभर में सेवा दे रही हैं।
हरीश ने 2023 में मेजर राधिका सेन के कांगो में अपने कार्य के लिए UN मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड जीतने का भी जिक्र किया। इससे पहले 2019 में मेजर सुमन गवानी को भी दक्षिण सूडान में अपने सेवा के लिए UN द्वारा सम्मानित किया गया था।
इस तरह, भारत ने न केवल पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दा उठाने पर जवाब दिया, बल्कि महिलाओं की शांति निर्माण में भूमिका को भी मजबूत तरीके से प्रस्तुत किया।
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