"सीमा पर शांति प्राथमिकता होनी चाहिए," पीएम मोदी ने रूस में शी जिनपिंग को बताया
पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस में पहली द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं ने भारत-चीन संबंधों को महत्वपूर्ण बताते हुए सीमा पर शांति को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह बैठक लद्दाख में गतिरोध के बाद संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कज़ान, रूस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आज रूस में मिलकर पहली बार द्विपक्षीय बैठक की, जो 2019 के बाद से पहली बार हुई है। भारत और चीन के बीच संबंधों में गंभीर गिरावट आई थी, जो लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण हुई थी, जब चीन ने एकतरफा तरीके से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन किया था।
यह द्विपक्षीय वार्ता कज़ान में ब्रिक्स समिट के दौरान हुई। यह बैठक एक महत्वपूर्ण सफल वार्ता के केवल 72 घंटे बाद हुई, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि स्थिति मई 2020 से पहले की तरह लौट आए, जब लद्दाख में सैन्य संघर्ष की शुरुआत हुई थी।
पीएम मोदी का बयान
बैठक में, पीएम मोदी ने कहा, "हम 5 साल बाद औपचारिक बैठक कर रहे हैं। हम मानते हैं कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। हम सीमा पर पिछले 4 वर्षों में उठे मुद्दों पर पहुंची सहमति का स्वागत करते हैं। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार होना चाहिए।"
शी जिनपिंग का बयान
शी जिनपिंग ने कहा, "प्रधानमंत्री, आपके साथ कज़ान में मिलना मेरे लिए एक बड़ी खुशी है। यह हमारे लिए पांच वर्षों में पहली औपचारिक (द्विपक्षीय) बैठक है। हमारे दोनों देशों के लोग और अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमारी बैठक पर ध्यान दे रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यताएं हैं, प्रमुख विकासशील देश हैं, और वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। "हम दोनों अपने-अपने आधुनिकीकरण प्रयासों के महत्वपूर्ण चरण में हैं। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने द्विपक्षीय संबंधों की सही दिशा में आगे बढ़ें।"
भविष्य की संभावनाएँ
यह बैठक यह स्पष्ट करेगी कि व्यापार, आर्थिक और जन-संपर्क संबंध सामान्य स्थिति में लौट पाएंगे या नहीं। दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों और विकास के मुद्दों पर चर्चा करने की इच्छा जताई।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच यह वार्ता संबंधों में एक नया मोड़ ला सकती है, जो पिछले कुछ वर्षों में तनावग्रस्त रही है।
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